बस्तर को साधना भाजपा के लिए चुनौती, छत्तीसगढ़ में मोदी और शाह की प्रतिष्ठा दांव पर - CGKIRAN

बस्तर को साधना भाजपा के लिए चुनौती, छत्तीसगढ़ में मोदी और शाह की प्रतिष्ठा दांव पर


छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बस्तर में एक बार फिर पार्टियों ने ताकत झोंक दी है। राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो भले ही बस्तर कांग्रेस का गढ़ बन चुका है। लेकिन भाजपा इसे अपने कब्जे में लाने के लिए लगातार प्रयास आर रही है. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो भले ही बस्तर कांग्रेस का गढ़ बन चुका है और यहां विधानसभा की 12 और लोकसभा की बस्तर सीट कांग्रेस और कांकेर की सीट भाजपा के कब्जे में है मगर चुनावी मुकाबला यहां त्रिकोणीय हो सकता है।  यहां कांग्रेस-भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी, सीपीआइ, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे), आम आदमी पार्टी और आदिवासी नेता अरविंद नेताम की हमर राज पार्टी भी चुनाव लड़ सकती है।  बतादें कि नेताम कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी बनाई है। विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने चुनावी गठबंधन किया है। इसके बाद प्रदेश की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। गठबंधन के तहत बसपा 53 और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 37 सीट पर चुनाव लड़ेगी।

प्रधानमंत्री मोदी का छत्तीसगढ़ दौरा लगातार चल रहा है. इससे पता चलता है की भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जीत कितनी जरुरी है. मोदी जगदलपुर पहुंचकर दंतेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना की इसके साथ ही राजपरिवार के सदस्यों से मुलाकात की।लालबाग मैदान में पीएम मोदी ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कांगेस और विपक्ष पर कई मुद्दों को लेकर जमकर हमला बोला। वहीं पीएम ने नगरनार स्टील प्लांट का उद्घाटन भी किया।  जगदलपुर में पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस की तुलना में भाजपा सरकार पांच गुना ज्यादा बजट देती है। बस्तर में शासकीय मंच से बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत का सपना तब सिद्ध होगा जब हर राज्य, हर जिला, हर गांव विकसित हो। विकसित भारत के लिए फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर भी भविष्य की जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए। यही वजह है कि हमारी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्चे को बढ़ाकर इस साल 10 लाख करोड़ कर दिया है। भाजपा सरकार ने ही 15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को जनजातीय दिवस घोषित किया। हमने जनजातीय वर्ग के छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति को भी ढाई गुना कर दिया है।

छत्तीसगढ़ में जहां अब तक के सर्वे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाती दिख रही है, वहां मोदी का हमलावर होना भाजपा के लिए जरूरी भी है। असल में भाजपा हाईकमान मध्य प्रदेश में सरकार बचाने और राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को हटाने से ज्यादा बड़ी चुनौती छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने को मान रही है। छत्तीसगढ़ को अमित शाह और मोदी ने चुनौती के रूप में लिया है और इस छोटे राज्य के बड़े निर्णय खुद दिल्ली में ले रहे हैं। भाजपा 21 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची 17 अगस्त को ही जारी कर चुकी है। उसके बाद से लगातार भाजपा संगठन बची हुई 69 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर र?हा है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 39 सीटें आरक्षित है। जिसमें से 29 सीटें एसटी वर्ग के लिए और 10 सीटे एससी वर्ग के लिए हैं। बाकी 51 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। सीटों के हिसाब से देखें तो रायपुर संभाग से 20 सीटें, बिलासपुर संभाग से 24 सीटें, सरगुजा संभाग से 14 सीटें, दुर्ग संभाग से 20 सीटें और बस्तर संभाग से 12 सीटें आती हैं। इन पांच संभागों की जिम्मेदारी पांच बड़े नेताओं को दी गयी है।

इस बार छत्तीसगढ़ को लेकर सभी फैसले दिल्ली से हो रहे हैं। बड़े बड़े नेताओ की मीटिंग यहाँ की रुपरेखा तय कर रही है ऐसे में  छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव को मोदी और  शाह  के लिए  प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है।  हालांकि मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर भी सभी फैसले दिल्ली से हो रहे हैं लेकिन 2018 में छत्तीसगढ़ में हुई अपमानजनक हार को मोदी और शाह भूले नही हैं। इस कारण छत्तीसगढ़ की एक-एक सीटों पर मोदी और शाह की पैनी नजर है।

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