छत्तीसगढ़ में शाह और राहुल गांधी की चुनावी सभा दोनों ने खेला आदिवासी और यूथ पर बड़ा दांव
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव होने में लगभग ढाई महीने ही शेष बचे हैं। ऐसे में चुनावी सरगर्मी उफान पर है। पिछले दिनों राजधानी रायपुर में दो बड़ी चुनावी सभा हुई। एक तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ 80 पेज का आरोप पत्र पेश कर कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा किया, तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नवा रायपुर के मेला ग्राउंड में राजीव युवा मितान सम्मेलन में अडाणी मामले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। राजीव युवा मितान सम्मेलन में जहां राहुल गांधी ने युवाओं पर फोकस किया। यहां तक की कांग्रेस की सभी योजनाओं में युवाओं को प्राथमिकता देने की बात कही। मंच से ही युवाओं को राजनीति में आने का आह्वान किया। जिससे कांग्रेस का यूथ वोट बैंक बरकरार रहे। यूथ वोटिंग बूथ तक पहुंच सके। क्योंकि किसी भी सरकार को बनाने और गिराने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसे दोनों ही पार्टियां बखूबी जानती हैं और समझती हैं, इसलिए चुनाव से पहले युवा और आदिवासी वर्ग को साधने की पूरी कवायद चल रही है। इसी मकसद से नवा रायपुर में राहुल गांधी की सभा में युवाओं की भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस का युवा विंग, यूथ क्लब, युवक कांग्रेस, एसएसयूआई और कांग्रेस कार्यकर्ता बीते एक पखवाड़े से इस वर्किंग प्लान पर काम कर रहे थे। राहुल गांधी के सामने ही सीएम भूपेश बघेल ने मंच से युवाओं के हित में कई बड़े एलान किए। दूसरी बार कांग्रेस सरकार बनने पर 12 से 15 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही। यहां तक की कोरोना काल के समय प्रदेश में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के पहले तीन साल तक पूरी सैलरी की जगह 70, 80 और 90 फीसदी का स्टायपेंड दिया जाता था, इसे राहुल गांधी की पहल पर ही सीएम ने खत्म करने की घोषणा की। शाह ने कांग्रेस सरकार के वादे याद दिलाते हुए शराबबंदी पर निशाना साधा। शराब घोटाला, गोठाना घोटाला समेत कई भ्रष्टाचार को लेकर राज्य सरकार पर जमकर बरसे, तो वहीं 40 मिनट के भाषण में राहुल गांधी ने भी पीएम नरेंद्र मोदी और अदाणी मामले में जमकर हमला बोला।
राहुल गांधी ने मंच से ही आदिवासी कार्ड खेला। राहुल गाांधी ने आदिवासियों को लेकर कहा कि हम बीजेपी की तरह आदिवासियों को वनवासी नहीं मानते। उन्हें केवल आदिवासी ही मानते हैं। उनके हक के लिए कांग्रेस की योजनाओं का बखान किया। आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन देने की बात कही। उन्हें जल, जंगल और जमीन का मालिक करार दिया। इस तरह से कांग्रेस ने ये सारी बातें कहीं न कहीं युवाओं और आदिवासियों वोट बैंक को ध्यान में रखकर कही है, ताकि चुनाव में उसे फायदा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच साल पहले जब राहुल गांधी आए थे तो उन्होंने कहा था कि ऐसी योजनाएं बनाएं जिससे आम आदमी को लाभ हो, आदिवासियों को लाभ हो, किसानों को लाभ हो। हमने ऐसी योजनाएं बनाई जिससे लोगों को लाभ हुआ। किसानों को लाभ मिला। छत्तीसगढ़ में हम प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस नहीं लेते। पूरे छत्तीसगढ़ की जनता का भरोसा हमारे साथ है।
दूसरी ओर अमित शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता से कहता हूं कि आगामी चुनाव छत्तीसगढ़ को संवारने का चुनाव है। आदिवासियों की रक्षा का वादा था, लेकिन आज धर्म परिवर्तन की बयार बह रही है। अमित शाह ने कहा कि छात्रों को लैपटॉप दिया था, उसे भी सीएम भूपेश बघेल खा गए। बघेल जी से पूछने आए हैं कि 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की सरकार थी, क्या मिला दस साल में केवल 77 हजार करोड़। लेकिन मोदी सरकार ने 9 साल में दो लाख अड़तीस हजार करोड़ दिया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महासमुंद के सरायपाली के ग्राम खैरमाल में आयोजित जनजातीय सम्मेलन में आदिवासी वोट बैंक को ही फोकस में रखा। जनजातीय सम्मेलन में इस वर्ग को साधने के लिए केंद्र और रमन सरकार की योजनाओं का बखान किया। यहां तक की आदिवासियों के लिए शुरू की गई योजनाओं के बंद करने पर राज्य की भूपेश सरकार पर निशाना साधा। सत्ता में आने पर आदिवासी वर्ग की योजनाओं को फिर से शुरू करने की बातें भी कहीं। बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों पर बीजेपी की नजर है। क्योंकि वर्तमान में यहां की सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में बीजेपी आदिवासी फैक्टर के सहारे इन सीटों पर दोबारा कब्जा करने की जुगत में है। इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा पूरी जोर आजमाइश कर रही है। इसके लिए बीजेपी आदिवासी वोटर्स को साधने के लिए कोई भी मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहती।
छत्तीसगढ़ बीजेपी आदिवासी और पिछड़ों को साधने के लिए एक खास रणनीति के तहत प्रदेशभर में विशाल कार्यक्रम कर रही है। इसके लिए बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। संगठन के केंद्रीय नेताओं ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक ऐसा ब्लू प्रिंट तैयार किया है, जिससे बीजेपी के प्रति लोगों भरोसा बढ़ें और विधानसभा चुनाव में पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीट ला सके। विशेषकर बस्तर संभाग पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। यहां छत्तीसगढ़ और ओडिशा के 12 विधायक 12 विधानसभा सीटों पर लगातार चुनावी सभा कर कर रहे हैं। बीजेपी आदिवासियों के जननायक भगवान बिरसा मुंडा, शहीद वीर नारायण सिंह, शहीद गुंडाधुर, शहीद गेंदसिंह सिंह आदि महान बलिदानियों के जन्मस्थली से जिला मुख्यालयों तक पुरखौती सम्मान यात्रा निकालने का ऐलान बहुत पहले ही कर चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राहुल गांधी की चुनावी सभा एसटी, एससी, ओबीसी, आदिवासी और युवा वोर्टस को साधने की रणनीति का अहम हिस्सा था। बहरहाल, राहुल गांधी और अमित शाह के इस चुनावी सभा से बीजेपी और कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2023 में क्या फायदा मिलता है यो तो आने वाला वक्त ही बताएगा।