चमत्कारिक गणेश मंदिर, जहां 'जमीन फोड़कर निकले गणेश जी
बालोद। बालोद शहर के मरार पारा में एक मंदिर है स्वयंभू गणेश मंदिर. इसकी ख्याति पूरे प्रदेश में फैली हुई है. यहां के गणेश जी को स्वयंभू इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान स्वयं धरती फाड़कर प्रकट हुए थे. भगवान गणेश के इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है. लोग यहां अपनी समस्या और मन्नत लेकर आते हैं. प्रकृति की गोद (भूगर्भ) से निकले लगभग 6 फीट की विशाल मूर्ति, जिस पर आस्था रखने वाले आस्थावान इसे "मनोकामना मूर्ति" भी कहते हैं। यहाँ आने वाले आस्थावान लोगो का कहना है कि सच्चे दिल से की गई मनोकामना यहाँ पूरी होती है।
जिला मुख्यालय के मरारपारा में गणेश जी का एक ऐसा मंदिर जहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते है और वह पूरा भी हो जाता है। छत्तीसगढ़ के बालोद में भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां मान्यता है कि यहां आने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ती हो जाती है। बालोद के मरारपारा पर स्थित स्वयंभू गणेश मंदिर की मान्यताएं पूरे क्षेत्र में प्रचलित हैं। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि करीब 90-95 साल पहले भगवान गणेश जमीन के भीतर से प्रगट हुए थे। लोगों का कहना है कि इस मंदिर में पहुंचकर निःसंतान दंपती बच्चे के लिए गणपति बप्पा से सच्चे मन से प्रार्थना करते है। उन्हे जल्द ही संतान की प्राप्ति हो जाती है। इस मंदिर की सबसे बडी खासियत है कि यहां पर मंदिर में जमीन फोड़कर प्रकट हुई भगवान गणेश जी की मूर्ति लगातार बढ़ती जा रही है। भगवान गणेश की इस मूर्ति को मनोकामना मूर्ति के नाम से भी जाना जाता है।
अभी भी जमीन के अंदर है मूर्ति का कुछ हिस्सा- स्वयं-भू श्री गणेश के घुटने तक का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के भीतर है। लोग बताते हैं कि पहले गणेश का आकार काफी छोटा था, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता गया। आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं। गणपति का आकार लगातार बढ़ता देख भक्तों ने वहां पर मंदिर बनाया है। मंदिर में दूरदराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस स्वयंभू गणेश की पूजा कर मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी भी होती है।
निःसंतान दंपती की होती है मनोकामना पूरी- बालोद जिले में गणेश जी का एक ऐसा मंदिर है जहां निःसंतान दंपती की मनोकामना पूरी होती है। यहीं कारण है कि इस मंदिर में गणेश चतुर्थी के अलावा सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है। गणेशजी के दर्शन मात्र से लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है।