संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन - CGKIRAN

संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन

 


सीधा प्रसारण 04 मार्च 2023 को सुबह 09:15 बजे से साधना TV पर

संत गरीबदास जी महाराज का जीवन परिचय:भारत एक पवित्र भूमि है यहाँ समय-समय पर संत, ऋषि रूप में अवतार गण आते रहे हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी ही अवतारी शक्ति से अवगत कराने वाले हैं जिनका नाम है संत गरीबदास जी महाराज। आइये जानते हैं इस लेख के माध्यम से बंदी छोड़ संत गरीबदास जी के जीवन परिचय को तथा उनको परमेश्वर कबीर साहेब जी कहाँ और कैसे मिले?

संत गरीबदास जी का जन्म हरियाणा के जिला झज्जर गांव छुड़ानी में सन 1717 में जाटों के एक प्रसिद्ध धनखड़ परिवार में पिता श्री बलरामजी और माता श्रीमती रानीदेवीजी के यहाँ हुआ था। गांव छुडानी में गरीबदास जी महाराज का नानका है। ये गांव करौथा (जिला रोहतक हरियाणा) के रहने वाले धनखड़ गोत्र के थे। इनके पिता श्री बलराम जी का विवाह गांव छुड़ानी में शिवलाल सिहाग की बेटी रानी देवी से हुआ था। श्री शिवलाल जी का कोई पुत्र नहीं था इसलिए उन्होंने श्री बलराम जी को घर जमाई रख लिया था। जब उन्हे गांव छुड़ानी में रहते 12 वर्ष हो गए थे तब संत गरीब दास महाराज जी का जन्म गांव छुड़ानी में हुआ था। श्री शिवलाल जी के पास 2500 बीघा (बड़ा बीघा जो वर्तमान के बीघा से 2.75 गुना बड़ा होता था) जमीन थी जिसके वर्तमान में 1400 एकड़ जमीन बनती हैं। 


जिसके वर्तमान में 1400 एकड़ जमीन बनती हैं। उस सारी जमीन के वारिस श्री बलराम जी हुए तथा उसके पश्चात उनके इकलौते पुत्र संत गरीबदास जी उस सर्व जमीन के वारिस हुए। गरीबदासजी बचपन से ही अन्य ग्वालों के साथ गौ चरानें जाते थे। कबलाना गाँव की सीमा से सटे नला खेत में 10 वर्ष के बालक गरीबदासजी जांडी के पेड़ के नीचे प्रातः 10 बजे अन्य ग्वालों के साथ जब भोजन कर रहे थे तभी वहाँ से कुछ दूरी पर सत्यपुरुष कबीर साहब जिंदा महात्मा के रूप में सतलोक से अवतरित हुए।

परमेश्वर कबीर साहेब जी सतलोक से पेड़ के कुछ दूरी पर उतरे (अवतरित हुए) तथा रास्ते रास्ते कबलाना की ओर छुड़ानी को जाने लगे। जब ग्वालों के पास आए तो ग्वालों ने कहा बाबा जी राम-राम! परमेश्वर जी ने कहा राम राम! ग्वालो ने कहा कि बाबाजी! खाना खाओ। परमेश्वर जी ने कहा कि खाना तो मैं अपने गांव से खाकर चला था। ग्वालों ने कहा कि,” महाराज खाना नहीं खाते तो दूध तो अवश्य पीना पड़ेगा हम अतिथि को कुछ खाए पिए बिना नहीं जाने देते।” परमेश्वर ने कहा कि मुझे दूध पिला दो और सुनो! मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूं। जो बड़ी आयु (24-30) के पाली (ग्वाले) थे। उन्होंने कहा कि आप तो मजाक कर रहे हो आप जी की दूध पीने की नियत नहीं है। कुंवारी गाय भी कभी दूध देती है। परमेश्वर ने कहा कि मैं कुंवारी गाय का दूध पीऊंगा। गरीबदास बालक ने एक बछिया जिसकी आयु 1.5-2 वर्ष की थी जिंदा बाबा के पास लाकर खड़ी कर दी।

परमात्मा ने बछिया की कमर पर आशीर्वाद भरा हाथ रख दिया। बछिया के स्तन लंबे लंबे हो गए। एक मिट्टी के लगभग 5 किलोग्राम की क्षमता के पात्र (बर्तन) को बछिया के स्तनों के नीचे रखा। स्तनों से अपने आप दूध निकलने लगा। मिट्टी का पात्र भर जाने पर दूध निकलना बंद हो गया। पहले जिंदा बाबा ने दूध पिया, शेष दूध को अन्य पाली (ग्वालों) को पीने के लिए कहा तो बड़ी आयु (24-30 वर्ष) के ग्वाले कहने लगे कि बाबा जिन्दा कुंवारी गाय का दूध तो पाप का दूध हैं हम नहीं पिएंगे। दूसरे आप ना जाने किस जाति के हो। आप का जूठा दूध हम नहीं पिएंगे। तीसरे यह दूध आपने जादू जंतर करके निकाला है हम पर जादू जंतर का प्रभाव पड़ेगा यह कहकर जिस जांडी के वृक्ष के नीचे बैठे थे। वहां से चले गए। दूर जाकर किसी वृक्ष के नीचे बैठ गए। तब बालक गरीब दास जी ने कहा कि हे बाबा जी आपका जूठा दूध तो अमृत हैं। मुझे दीजिए कुछ दूध बालक गरीब दास जी ने पिया परमेश्वर जिंदावेशधारी ने संत गरीबदास जी को ज्ञान उपदेश दिया और तत्वज्ञान बताया।

बाबा जिन्दा (कबीर साहेब जी ) का संत गरीबदास जी को सतलोक की सैर करवाना।

संत गरीबदास जी के अधिक आग्रह करने पर परमेश्वर ने उनकी आत्मा को शरीर से अलग किया और ऊपर के रूहानी मंडलों की सैर कराई। एक ब्रह्मांड में बने सर्व लोको को दिखाया। श्री ब्रह्मा,श्री विष्णु तथा श्री शिवजी से मिलाया। उसके पश्चात ब्रह्म लोक तथा श्री देवी दुर्गा का लोक दिखाया। फिर दसवें द्वार ब्रह्मरंध्र को पार करके ब्रह्म काल के 21 ब्रह्मांडो के अंतिम छोर पर बने 11वे द्वार को पार करके अक्षर पुरुष के 7 शंख ब्रह्मांडो वाले लोक में प्रवेश किया। संत गरीबदास जी को सर्व ब्रह्मांड दिखाएं अक्षर पुरुष से मिलाया। पहले उसके दो हाथ थे परंतु परमेश्वर के निकट जाते ही अक्षर पुरुष ने 10,000 हाथों का विस्तार कर लिया (जैसे मयूर पक्षी अपने पंख को फैला लेता है)। अक्षर पुरुष को जब संकट का अंदेशा होता है तब ऐसा करता है। अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है क्योंकि अक्षर पुरुष अधिक से अधिक 10000 हाथ ही दिखा सकता है। इसके 10000 हाथ है। क्षर पुरुष के 1000 हाथ हैं। गीता अध्याय 11 में इसने अपना 1000 हाथों वाला विराट रूप दिखाया। गीता अध्याय 11 श्लोक 46 में अर्जुन ने कहा कि हे सहस्त्रबाहु (हजार भुजा वाले) अपने चतुर्भुज रूप में आइए।


संत गरीबदास जी को अक्षर पुरुष के 7 शंख ब्रह्मांडो का भेद बताकर व आंखों दिखाकर परमेश्वर जिंदा बाबा गरीब दास जी महाराज को 12वें द्वार के सामने ले गए जो अक्षर पुरुष के लोक की सीमा पर बना है। जहां से भंवर गुफा में प्रवेश किया जाता है। जिंदा वेशधारी परमेश्वर कबीर जी ने संत गरीबदास जी को बताया कि जो 10वां द्वार है वह मैंने सत्यनाम के जाप से खोला था।

जो 11वां द्वार हैं वह मैंने तत्त था सत (जो सांकेतिक है) से खोला था। अन्य किसी मंत्र से उन दीवारों पर लगे ताले नहीं खुलते। अब यह 12वा द्वार हैं यह मैं सत शब्द से खोलूंगा। इसके अतिरिक्त किसी नाम के जाप से यह नहीं खुल सकता। परमात्मा कबीर जी ने मन ही मन में सारनाम का जाप किया, 12वा द्वार खुल गया और परमेश्वर जिंदा रूप में तथा संत गरीबदास जी की आत्मा भंवर गुफा में प्रवेश कर गए।

फिर सत्यलोक में प्रवेश करके उस श्वेत गुंबद के सामने खड़े हो गये जिसके मध्य में सिंहासन के ऊपर तेजोमय स्वेत नर रूप में परम अक्षर ब्रह्म जी (कबीर साहेब जी) विराजमान थे। जिनके एक रोम (शरीर के बाल) से इतना प्रकाश निकल रहा था जो करोड़ सूर्य तथा इतने ही चांद के मिले-जुले प्रकाश से भी अधिक था। इससे अंदाजा लग जाता है कि उस परम अक्षर ब्रह्म जी के संपूर्ण शरीर की कितनी रोशनी होगी। सतलोक स्वयं भी हीरे की तरह प्रकाशमान है। उस प्रकाश को जो परमेश्वर जी के पवित्र शरीर से तथा उसके अमरलोक से निकल रहा है, केवल आत्मा की आंखो से ही देखा जा सकता है। चर्म दृष्टि से नहीं देखा जा सकता।

बाबा जिन्दा का संत गरीब दास जी का भ्रम दूर करना

फिर जिंदा बाबा अपने साथ बालक गरीबदास जी को लेकर उस सिंहासन के निकट गए तथा वहां रखे चंवर को उठाकर तख्त पर बैठे परमात्मा के ऊपर डुराने (चलाने) लगे। बालक गरीबदास जी ने विचार किया कि यह है परमात्मा और यह बाबा तो परमात्मा का सेवक हैं। उसी समय तेजोमय शरीर वाला प्रभु सिंहासन त्याग कर खड़ा हो गया और उन्होंने जिंदा बाबा के हाथ से चंवर ले लिया और जिंदा बाबा को सिंहासन पर बैठने का संकेत किया। जिंदा वेशधारी प्रभु असंख्य ब्रह्मांडो के मालिक के रूप में सिंहासन पर बैठ गए। पहले वाला प्रभु जिंदा बाबा पर चंवर करने लगा।

संत गरीबदास जी विचार कर रहे थे कि इनमें परमेश्वर कौन हो सकता है, इतने में तेजोमय शरीर वाला प्रभु जिंदा बाबा वाले शरीर में समा गए, दोनों मिलकर एक हो गए। जिंदा बाबा के शरीर का तेज उतना ही हो गया, जितना तेजोमय पूर्व में सिंहासन पर बैठे सत्य पुरुष जी का था। कुछ ही क्षणों में परमेश्वर बोले हे गरीबदास! मैं असंख्य ब्रह्मांडो का स्वामी हूं। मैंने ही सर्व ब्रह्मांडो की रचना की है। सर्व आत्माओं को वचन से मैंने ही रचा है। पांच तत्व तथा सर्व पदार्थ भी मैंने ही रचे हैं। क्षर पुरुष तथा अक्षर पुरुष व उनके लोको को भी मैंने उत्पन्न किया है। इनको इनके तप के बदले में सर्व ब्रह्मांडो का राज्य मैंने हीं प्रदान किया है। मैं 120 वर्ष तक पृथ्वी पर कबीर नाम से जुलाहे की भूमिका करके आया था।

उधर माता-पिता, नानी-नाना और सभी ग्रामीण बालक गरीबदास को मृत जानकर चिता पर लिटाकर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। तब परमेश्वरजी ने गरीबदासजी की जीवात्मा के ज्ञान चक्षु खोलकर अन्तः करण में अध्यात्म ज्ञान डाल कर आत्मा को पुनः शरीर में प्रवेश करा दिया। बालक को पुनर्जीवित पाकर हर्षित जन बालक को बड़बड़ाते देख उसे जादू जंत्र से ग्रसित समझे। घर आने पर बहुत उपचार से भी ठीक न हुए बालक को ग्रामीण जन पागल मान बैठे थे और उन्हें बावला (पागल) कहने लगे।

संत गरीबदास जी का सतलोक गमन

गरीबदासजी महाराज ने 61 वर्ष की आयु में सन 1778 में सतलोक गमन किया । गाँव छुड़ानी में शरीर का अंतिम संस्कार किया गया वहाँ एक यादगार, छतरी साहेब बनी हुई है। इसके बाद उसी शरीर में प्रकट होकर संत गरीबदास जी सहारनपुर उत्तरप्रदेश में 35 वर्ष रहे। वहाँ भी उनके नाम की यादगार छतरी बनी हुई है ।

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज जी के बोध दिवस पर 2-3-4 मार्च 2023 को तीन दिवसीय महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। इस पवित्र अवसर पर अखण्ड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग समारोह जैसे कई भव्य कार्यक्रम होंगे। जिसमें आप परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं। आयोजन स्थल है :


सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)

सतलोक आश्रम रोहतक (हरियाणा)

सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)

सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)

सतलोक आश्रम धूरी (पंजाब)

सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब)

सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)

सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)

सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश)

सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)



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