छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 हुआ पारित , CM भूपेश ने बताया ऐतिहासिक दिन
छत्तीसगढ़ पत्रकारों की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र के बाद कानून बनाने वाला दूसरा राज्य बना। बता दें कि विधानसभा परिसर में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 सर्वसम्मति से पारित किया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक 2023 पेश करते हुए बताया कि कानून की क्या व्यवस्था है, किसके लिए यह लागू होगा, कौन से मीडिया कर्मी इस कानून में पात्र होंगे इसके प्रावधान में है. उन्होंने कहा कि यह एक व्यापक प्रभाव वाला विधेयक है. बघेल ने सदन में कहा, ‘‘कई बार कानून लागू करने की मांग की गई और इस संबंध में 2019 में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। यह कानून सभी (संबंधित पक्षों) के परामर्श से तैयार किया गया है। यह दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा और यह एक ऐतिहासिक दिन है।’’मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए कहा कि आज का दिन छत्तीसगढ़ विधानसभा और छत्तीसगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन है, हमारे पत्रकार साथियों के लिए यह बहुत ही अविस्मरणीय दिन रहा है। क्योंकि आज छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 न केवल विधानसभा में प्रस्तुत हुआ, बल्कि पारित भी हुआ है। उन्होंने कहा कि जन घोषणा पत्र में हमने जो वादा किया था, आज उसमें से एक और वायदा पूरा कर दिया गया है।
विधेयक के अनुसार विधेयक का विस्तार पूरे छत्तीसगढ़ में होगा। विधेयक के अनुसार मीडिया संस्थान में कार्यरत संपादक, लेखक, समाचार संपादक, उपसंपादक, रूपक लेखक, प्रतिलिपि संपादक, संवाददाता, व्यंग चित्रकार, समाचार फोटोग्राफर, वीडियो पत्रकार, अनुवादक, शिक्षु/प्रशिक्षु मीडियाकर्मी, समाचार संकलनकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार जिसे शासन द्वारा अधिमान्यता मिला हो मीडियाकर्मी माना गया है।
सीएम भूपेश ने कहा कि हमारे पत्रकार साथी जो अपनी जान जोखिम में डालकर, अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर खबर लाते हैं। बहुत सारे ऐसे लेख भी लिखते हैं, जिनसे उनको, उनके परिवार के लोगों को खतरा बढ़ जाता है। साथ ही धनहानि के साथ जनहानि की संभावना भी बन जाती है। ऐसे में जितने भी हमारे पत्रकार हैं, चाहे वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के हों, चाहे प्रिंट मीडिया के हों, चाहे पोर्टल के हों। सभी साथियों के जो ऑफिस में काम करते हैं और वो भी जो गांव में काम करते हैं, जिनका अधिमान्यता पत्र नहीं है, उनका रजिस्ट्रेशन करने का, अगर प्रेस कहता है कि वो हमारे साथ हैं और जो लगातार छह महीने के अंदर उसमें तीन लेख लिखे हों या स्टोरी की हो, ऐसे लोगों को छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके।
विधेयक में कहा गया है कि यदि किसी मीडियाकर्मी के खिलाफ आरोप या जांच हो रही है या पूर्व में जांच हुई है तब समिति संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक से 15 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दे सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई शासकीय कर्मचारी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो उनकी शिकायत के लिए समिति बनी है।