भक्ति और विश्वास का अटूट संगम माँ मातंगी का अलौकिक धाम, जहाँ हर ओर श्रद्धा की गूंजती हैं घंटियाँ, जहां बांधे जाते हैं घड़ियां और ताले-जंजीर
देशभर में शारदीय नवरात्रि को श्रद्धालु आस्था और उत्साह के साथ मना रहे हैं. छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कई मंदिर हैं जहां हजारों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने पहुंच रहे हैं. सब मंदिरों की अपनी अलग मान्यता है.धमतरी की धरती पर एक ऐसा धाम है. जहाँ भक्ति, विश्वास के साथ लोग चमत्कार को भी मानते हैं. छत्तीसगढ़ की पावन भूमि धमतरी में स्थित है एक ऐसा चमत्कारी धाम जहाँ भक्ति चमत्कार और विश्वास एक साथ जीवंत हो उठते हैं। यह है माँ मातंगी माँ बगलामुखी और माँ छिन्नमस्तिका का दिव्य दरबार, जो आज लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि उनके जीवन की राह का संबल बन चुका है। माँ मातंगी का यह अलौकिक दरबार जहाँ हर ओर श्रद्धा की घंटियाँ गूंजती हैं। कोई ताले और सांकलें बाँधकर अपनी समस्याओं को माँ के चरणों में सौंपता है तो कोई घड़ी लगाकर बिगड़े समय को ठीक करने की प्रार्थना करता है। कहा जाता है की जिस भक्त का समय विपरीत चल रहा हो वह यहाँ घड़ी बाँधकर माँ से निवेदन करता है और फिर उसका जीवन नई दिशा पा लेता है। ये दरबार कुरुद तहसील के जीजामगांव में है. इसे मां मातंगी का दिव्य दरबार कहा जाता है. बताया जाता है कि माता पार्वती के 10 महाविद्याओं में से एक उग्र देवी ही मातंगी माता है. इन्हें तंत्र-मंत्र की देवी भी कहा जाता है.सबसे खास बात महाराज जी बस समस्या ही नही बताते बल्कि समस्या के साथ साथ समाधान भी बताते। इस धाम में विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलता है। इस धाम में असाध्य रोग अस्थमा का भी निःशुल्क इलाज होता है। वो भी महज 3 दिन 3 खुराक और अस्थमा जीवनभर के लिए खत्म।
दरबार में भक्तों को दिव्य शक्ति का अनुभव होता है और उन्हें समस्याओं का समाधान और कृपा मिलती है. पूरा मंदिर प्रांगण हजारों घंटियों, तालों और घड़ियों से सजा है. लाखों की संख्या में लाल कपड़े में बंधे श्रीफल यहां दिखाई देते हैं. इन सबकी अपनी अलग-अलग मान्यता है. जिसे बांधकर समस्याओं का समाधान श्रद्धालु तलासते हैं.हर दिशा से उठती जयकारों की गूंज पूरे वातावरण को दिव्यता से सराबोर कर देती है। यह दरबार केवल धमतरी का ही नहीं बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन चुका है। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष और सात समंदर पार से भी लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं अपने दुखों का समाधान पाने और माँ की शरण में सच्चे मन से शीश झुकाने।
घड़ी क्यों बांधते हैं: इस दरबार में लोग अपना बुरा समय बदलने के लिए घड़ी लेकर पहुंचते हैं. कहते हैं कि, यहां घड़ी को बांधने के बाद उनका आने वाला समय बदल जाता है. पढ़ाई, नौकरी से लेकर पारिवारिक परेशानी तक सबका समाधान मिल जाता है.
जंजीर और ताले का महत्व: कई लोग भूत-प्रेत बाधा जैसी बातें मानते हैं, जिसे नेगेटिव एनर्जी भी कहा जाता है इन सबसे छुटकारा पाने के लिए लोग जंजीर और ताले लेकर पहुंचते हैं. कहा जाता है कि, मंदिर में इसे बांधने पर वो बाधा भी यहीं बंध जाती है. ताले के साथ बंध जाने के बाद बाधा वहीं मंदिर में रह जाती है. हालांकि ये सब अपनी-अपनी विश्वास की बात है.
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: यहाँ आकर हर कोई अपनी समस्या का समाधान पाता है, छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि मुंबई समेत भारत और कुछ तो विदेश से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. महाराष्ट्र से आई एक श्रद्धालु ने कहा कि, महाराज पर हमारा विश्वास है, पति की तबीयत खराब थी, ऑपरेशन होना था डॉक्टर ने करीब 40 लाख की मांग की, साथ ही कहा कि, बचने की भी गारंटी नहीं है. इसके बाद हमने महाराज से बात की और उन्होंने निशुल्क समाधान बता दिया.
पर्चा बनाते हैं महाराज: घड़ी, ताले और घंटी के अलावा इस मंदिर की एक और खासियत है यहां, बागेश्वर बाबा की तरह पर्चा निकाला जाता है. श्रद्धालु कहते हैं कि, यहां महाराज पर्चा निकाल कर कई पीढ़ियों तक की बातें बता देते हैं. इसके अलावा उनकी समस्याओं का समाधान भी वे बता देते हैं.
