छत्तीसगढ़ सरकार की नई सरेंडर पॉलिसी, नक्सल हिंसा पीड़ितों के लिए बड़ी घोषणाएं - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ सरकार की नई सरेंडर पॉलिसी, नक्सल हिंसा पीड़ितों के लिए बड़ी घोषणाएं


छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में नक्सल समस्या हल करने लगातार प्रयास कर रही है और सफलता भी मिल रही है. छत्तीसगढ़ सरकार की नई सरेंडर पॉलिसी के तहत अब सरेंडर करने वाले नक्सलियों को भी बड़ा फायदा दिया जाएगा। इसके साथ ही नक्सली हिंसा में पीड़ित लोगों के लिए सरकार ने जमीन देने का भी प्रावधान किया है। इस नीति के तहत मुखबिर की हत्या होने पर 10 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया जाएगा। ये सब सरकार नक्सल मुक्त प्रदेश बनाने के लिए कर रही है. छत्तीसगढ़ को मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस मिशन को पूरा करने के लिए सुरक्षाबल के जवान जहां लगातार कार्रवाई कर रहे हैं वहीं, सरकार ने नई सरेंडर पॉलिसी घोषित की है। नई आत्मसमर्पण एवं पीड़ित पुनर्वास नीति के तहत माओवादी हिंसा के शिकार लोगों को भूमि और नक्सल रोधी अभियानों में सुरक्षा बलों की सहायता करते हुए मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत-पुनर्वास नीति 2025 का मकसद नक्सली हिंसा के पीड़ितों को अधिक मुआवजा, मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और नौकरी के अवसर प्रदान करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण है। "हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंसा छोड़ने वाले लोग स्थिर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

सीएम साय ने कहा कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए नई नीति का उद्देश्य नक्सल समस्या के समाधान के लिए आशा की नई किरण लाना है। इसके साथ ही सरेंडर करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और नया जीवन शुरू करने के लिए कानूनी सहायता भी मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि राज्य में सरेंडर करने वाले अविवाहित या ऐसे नक्सली जिनके पति या पत्नी अब जीवित नहीं है, उन्हें सरेंडर करने के तीन वर्ष के भीतर विवाह के लिए एक लाख रुपए अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। माओवादी हिंसा के पीड़ितों को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि या शहरी क्षेत्रों में आवासीय भूमि देने का भी प्रावधान किया गया है।

किसे मिलेगी जमीन?

अधिकारी ने नई नीति के मसौदे का हवाला देते हुए बताया कि ठीक इसी तरह नक्सली हिंसा में स्थायी विकलांगता के मामले में दिए जाने वाले मुआवजे की राशि को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि नक्सलियों द्वारा हत्या किये जाने, गंभीर चोट पहुंचाने या फिर स्थायी विकलांगता की स्थिति में पीड़ित या उसके परिवार को शहरी क्षेत्रों में 1.5 हेक्टेयर कृषि भूमि या 1,742 वर्ग फुट आवासीय भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। अधिकारी ने बताया कि अगर भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी तो ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ितों को चार लाख रुपये और शहरी क्षेत्रों में आठ लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

अगर पीड़ित का परिवार घटना के तीन साल के भीतर कृषि भूमि खरीदता है तो उसे अधिकतम दो एकड़ भूमि की खरीद पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क से पूरी छूट मिलेगी। अधिकारी ने बताया कि नक्सली हिंसा में जान गंवाने के मामले में अगर परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकी तो 15 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। पति, पत्नी और बच्चों को 10 लाख रुपये और माता-पिता को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।

अन्य राज्य के लोगों को भी मिेलगा लाभ

उन्होंने बताया कि नई नीति में नक्सली हिंसा से पीड़ित लोगों के लिए भी पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। अधिकारी ने बताया कि राज्य में घटित नक्सली हिंसा में अगर अन्य राज्य के व्यक्ति या परिवार पीड़ित होते हैं, तो वे भी इस नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads