शंखपुष्पी से बदल सकती है किसानों की किस्मत मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को करती है खत्म
शंखपुष्पी किसानों के लिए एक बड़े आर्थिक अवसर के रूप में उभर रही है। यह सिर्फ एक पौधा नहीं, प्रकृति का अमूल्य उपहार है, जिसका पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा में विशेष स्थान है मानसिक तनाव को कम करने और स्मरण शक्ति को बढ़ाने आयुर्वेद में शंखपुष्पी का नाम प्रसिद्ध है। कृषि महाविद्यालय में इसे लेकर शोध भी चल रहा है।
शंखपुष्पी किसानों के लिए एक बड़े आर्थिक अवसर के रूप में उभर रही है। वानिकी विज्ञानी डॉ.अजीत विलियम्स के मुताबिक, शंखपुष्पी एक क्षुपीय (झाड़ीदार) पौधा है, जो अधिकतर शुष्क एवं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। यह एक क्षुपीय या फैलने वाली लता होती है, जिसकी पत्तियां छोटी, संकीर्ण और बेलनाकार होती हैं। इसके फूल शंखके आकार के होते हैं, जो हल्के नीले या बैंगनी रंग के होते हैं। इसी कारण इसे "शंखपुष्पी" नाम दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। शंखपुष्पी में कई जैव-सक्रिय यौगिक पाए जाते हैं, जो इसे औषधीय रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाते हैं। शंखपुष्पी एक अत्यंत उपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा में विशेष स्थान है। इसकी खेती न केवल किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय हो सकती है, औषधीय महत्व के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र में भी इसकी मांग बढ़ रही है।
नींद संबंधी विकारों में सहायक यह अनिद्रा को दूर करने में मदद करती है और अच्छी नींद को प्रोत्साहित करती है। यह हृदय को मजबूत करती है और रक्त संचार को नियंत्रित करने में सहायता करती है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है इसे अधिक जल की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है। यह पौधा रेतीली दोमट और अच्छी जल निकासी वाली भूमि में अच्छी तरह बढ़ता है
गर्मियों की शुरुआतमें इसकी बुवाई उपयुक्त होती है। सीमित मात्रा में सिंचाई की आवश्यकता होती है। पत्तों और जड़ों को सुखाकर दवा निर्माण में प्रयोग किया जाता है।
