सरकार के अल्टीमेटम के बाद भी ग्राम पंचायत सचिव हड़ताल पर, शासन के आदेश की कॉपी जलाई
छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों ने आंदोलन तेज कर दिया है. हड़ताल पर डटे पंचायत सचिवों ने पंचायत संचालनालय से जारी 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने के आदेश को ठेंगा दिखा दिया है. सचिवों ने सामूहिक रूप से आदेश की कॉपी को जलाकर अपना विरोध जताया. सचिव संघ बीते पांच दिनों से नियमितीकरण मांग को लेकर हड़ताल पर डटा हुआ है. पंचायत सचिवों को सरकार ने 24 घंटे में काम पर लौटने का आदेश दिया था. इसके जवाब में हड़ताली सचिवों ने धरना स्थल पर सरकारी आदेश की प्रतियां जला दीं.मोदी की गारंटी पूरी नहीं होने पर प्रदेश पंचायत सचिव संघ के तत्वाधान में पिछले 5 दिनों प्रदेश के 11 हजार से अधिक सचिव काम बंद कलम बंद कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं। प्रदेश सचिव संघ ने केंद्र सरकार के दो साल के भीतर नियमितीकरण के वादे को लेकर सरकार के खिलाफ धरना देकर आवाज उठा रहे. सरकार के अल्टीमेटम के बाद भी राज्य सरकार के आदेश की कॉपियां जलाई और अपनी मांगों को लेकर हड़ताल खत्म नहीं करने की बात कही।
दरअसल छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिव शासकीयकरण किए जाने की मांग को लेकर 18 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. 17 मार्च को उन्होंने विधानसभा का घेराव भी किया था. सचिव संघ का कहना है कि 2023-24 के विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी में उनके शासकीयकरण का वादा किया गया था. 7 जुलाई 2024 को रायपुर के इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने शासकीयकरण का भरोसा दिया था. मुख्यमंत्री ने इसके लिए एक कमेटी गठित करने की घोषणा की थी. 16 जुलाई को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने कमेटी का गठन किया. कमेटी को 30 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. पंचायत सचिवों को उम्मीद थी कि बजट सत्र में उनके शासकीयकरण की घोषणा होगी. साल 1995 से कार्यरत पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाना था. अब सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे.
राज्य सरकार के आदेश की कॉपियों को धरना स्थल में जलाकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर सचिवों ने अपना विरोध जताया। साथ ही चेतावनी दी कि अगर हमारी मांग एक अप्रैल तक पूरी नहीं होती है तो हम मंत्रालय का घेराव करेंगे। इसके बाद भी हमारी मांग पूरी नहीं होती तो आमरण अनशन करेंगे. आमरण अनशन में भी मांग पूरी नहीं होती है तो आत्मदाह करेंगे। हम सरकार की इस दमनकारी नीति के सामने घुटने टेकने वाले नहीं है।
ग्राम पंचायतों में काम ठप, योजनाओं का लाभ लेने भटक रहे ग्रामीण
सचिवों के हड़ताल के कारण केंद्र एवं राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन ठप हो गया है। पंचायतों में ग्रामीण जन्म, मृत्यु , प्रमाण पत्र, पेंशन, आवास, राशन कार्ड जैसे शासन की कई योजनाओं का लाभ लेने के लिए भटक रहे हैं। पंचायत सचिवों के काम बंद कलम बंद अनिश्चितकालीन हड़ताल से पंचायतों में सभी तरह के कार्य ठप पड़े हैं. ग्रामीणों को काम कराने सरकारी दफ्तरों का चक्कर काटना पड़ रहा है।
29 विभाग के काम करते हैं ग्राम पंचायत : ब्लॉक अध्यक्ष
इस मामले में तखतपुर ब्लॉक सचिव संघ के ब्लॉक अध्यक्ष तुलसी ध्रुव ने बताया कि सचिव 29 विभाग के 200 से अधिक प्रकार के कार्य करते हैं। अगर सचिव का काम बंद करता है तो इसका प्रभाव ग्राम पंचायतों में साफ तौर पर दिखता है. ग्राम पंचायतों के मूलभूत राशन, पेंशन, जन्म, मृत्यु, आवास, निर्माण, पेयजल ऐसे अनगिनत कार्य सचिवों के हड़ताल से रुक जाते हैं। हम अपनी नियमतिकरण की मांग को लेकर प्रदेश के 11 हजार से अधिक सचिव हड़ताल पर हैं, जिसका सीधा असर ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में पड़ रहा है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की है।
राजनांदगांव में पंचायत सचिवों की हड़ताल: राजनांदगांव जिले में भी हड़ताल पर बैठे पंचायत सचिवों ने जमकर नारेबाजी की और शासन के आदेश की प्रतियां जलाई. पंचायत सचिवों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी. पंचायत सचिव संघ के जिला अध्यक्ष दीपक कुमार वैष्णव ने बताया कि उनकी सिर्फ एक मांग है शासकीयकरण, जो मोदी जी की गारंटी में रखा गया है.उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी.
जांजगीर चांपा में जलाई शासन के आदेश की कॉपियां: इधर जांजगीर चांपा जिले में भी पंचायत सचिवों ने पंचायत संचनालय से जारी पत्र का विरोध करते हुए पत्र को आग के हवाले किया. प्रदेश पंचायत सचिव संघ 17मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे हैं. जिसमें मोदी की गारंटी के तहत पंचायत सचिवों को शासकीय करण करने की मांग की गई है. मांग पूरा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी पंचायत सचिवों ने दी है.