एक ऐसा गांव जहां ना चुनाव प्रचार न ही वोटिंग, निर्विरोध चुने जाते है पंच-सरपंच
पंचायत चुनाव के महंगे प्रचार प्रसार के दौर में बालोद जिले के एक गांव ने अनोखी मिसाल पेश की है। छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आखिरी फेज के लिए रविवार को वोटिंग हुई। वोटिंग को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला। कुछ जगहों पर चुनाव के नतीजे भी घोषित कर दिए गए हैं। कुछ जगहों पर नतीजे 25 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। इसी बीच बालोद जिले की एक ग्राम पंचायत सुर्खियों में है। इस पंचायत में सरपंच के चुनाव के लिए किसी तरह की वोटिंग नहीं होती, कोई प्रचार नहीं होता है। क्योंकि यहां बीते दो पंचवर्षीय से लोग सर्वसम्मति से सरपंच चुनते हैं। जहां लगातार दो पंचवर्षीय से यहां पर निर्विरोध पंच और सरपंच चुने जा रहे हैं। दो बार यहां पर सरपंच के रूप में महिलाओं को मौका दिया गया है। आपसी सामंजस्य और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए ग्रामीणों का कहना है कि जो सरपंच प्रचार प्रचार में पैसा खर्च करते हैं। उसे हम विकास कार्यों में लगाते हैं। महंगे खर्चों से हम बचाना चाहते हैं और इससे गांव का सामंजस्य बना रहता है। किसी तरह का कोई विवाद नहीं होता। हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत पिकरीपार की।
इस गांव की अपनी एक परंपरा पूरे जिले भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। गांव के वरिष्ठ नागरिक साहू ने बताया कि बैठक करते हैं और सभी को मौका देने की बात पहले से ही हमने रखी हुई थी तो बारी-बारी से सबको मौका दिया जाता है। कभी इस क्षेत्र से कभी उसे क्षेत्र से और एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर सामंजस्य बनाया जाता है जिसे सबका समर्थन हो और सभी का समर्थन और सभी की सहमति से हमने सफलतम दूसरा पंचवर्षीय कार्यकाल अब शुरू करने जा रहे हैं।
आपको बता दें गांव ने सर्वसम्मति से यहां पर पिछले पंचवर्षीय में चंदा साहू को सरपंच बनाया था। ग्रामीणों ने बताया कि उनका कार्यकाल बहुत अच्छा था और सरपंच बनने के साथ ही यहां पर सभी कार्यों में उनका समर्थन भी किया जाता है। विरोध जैसा कोई स्वर नहीं होता वहीं इस बार पंचशीला साहू को ग्रामीणों ने मौका दिया है। दोनों ने बताया कि हमारे गांव की यह रीति नीति हमें काफी प्रभावित करती है और जो पैसा हम चुनाव से बचा रहे हैं। उनका गांव की छोटी-छोटी समस्याओं की विकास कार्यों में खर्च करते हैं। वहीं, इस पंचायत में 10 वार्ड हैं। सभी 10 वार्ड़ों में निर्विरोध पंच भी चुने गए हैं।
प्रचार के पैसे से करते हैं गांव का विकास
ग्रामीणों का कहना है कि जो पैसा चुनाव प्रचार में खर्च होता उस पैसे का उपयोग हम लोग अब गांव की छोटी-छोटी समस्याओं को निपटाने में लगाते हैं। इसके साथ ही सरपंच के काम का कोई विरोध नहीं करता है। सरपंच सभी की सहमति से काम करते हैं। लगातार दो पंचवर्षीय से यहां पर निर्विरोध पंच और सरपंच चुने जा रहे हैं।