छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व का उत्साह, जानिये क्यों मनाते हैं ये त्योहार
छत्तीसगढ़ में आज 13 जनवरी सोमवार को लोक आस्था का पर्व छेरछेरा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। बच्चे और बच्चियां सुबह से ही टोली बनाकर लोगों के घरों में पहुंचकर छेरछेरा गीत गा रहे हैं। दान मांग रहे हैं।महादान और फसल उत्सव के रूप मनाया जाने वाला छेरछेरा पर्व छत्तीसगढ़ के सामाजिक समरसता और समृद्ध दानशीलता का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पर्व नई फसल के घर आने की खुशी में और पौष पूर्णिमा के दिन बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है। इसी दिन बच्चे एकत्र होकर घर-घर जाकर धान मांगते हैं। बच्चे गाना गाते और झूमते हुए घर-घर जाकर धान मांगते है। सभी लोग बच्चों को धान और चावल दान में देते हैं। किसान बड़े ही धूमधाम के साथ इस पर्व को मनाते हैं। इस त्यौहार के दिन किसानों के घर में धान की नई फसल होने से धान की ढेर लग जाती है।
छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णुदेव साय ने प्रदेश वासियों को छेरछेरा पर्व और माघ पुन्नी मेला की शुभकामनाएं दी हैं. आपको बता दें कि सीएम विष्णुदेव साय धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान हैं.जो धार्मिक मौकों पर अपनी आस्था को जनता के बीच अक्सर लाते हैं. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्व छेरछेरा को लेकर भी सीएम साय ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं। इस दिन ‘छेरछेरा, कोठी के धान ल हेरहेरा‘ बोलते हुए गांव के बच्चे, युवा और महिलाएं खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप रुपए इकट्ठा करते हैं।
कुंभ मेले की शुरुआत पर दी बधाई : वहीं सीएम विष्णुदेव साय ने कुंभ मेले की शुरुआत पर प्रदेश और देशवासियों को शुभकामनाएं दी है. सीएम साय ने अपने सोशल मीडिया पेज से देश वासियों को कुंभ मेले की शुभकामनाएं दी.आपको बता दें कि 12 साल बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है.इस बार कुंभ मेला प्रयागराज की पवित्र गंगा नदी में लगा है.जिसमें इस बार करोड़ों श्रद्धालुओं के पावन डुबकी लगाने की उम्मीद है.