कैसे साइबर अरेस्ट के जरिए जाल में फंसाते है अपराधी ?
हर दिन साइबर फ्रॉड की कई सारी खबरें सुनने को मिलती है। न्यूजपेपर, टेलीविजन और सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें अक्सर आती रहती है। कुछ अपराधी तो शातिर तरीके से अपराध को अंजाम देते हैं कि सब कुछ सच लगता है। आप या आपका कोई जानकार भी कभी ना कभी साइबर फ्राड (Cyber Fraud) का शिकार हुए होंगे। ऐसे में आपके अंदर भी एक भय बैठ जाता होगा। आजकल साइबर जगत में साइबर अरेस्ट (Cyber Arrest) बेहद ट्रेडिंग में है। जिसके लोगों को घर बैठे ही कंगाल कर दिया । आइए जानते हैं कि यह क्या है
क्या है साइबर अरेस्ट ?
साइबर अरेस्ट (Cyber Arrest) सुनने में तो पुलिस और गिरफ्तारी से संबंधित लगता है और ये होता भी कुछ ऐसा ही है। यह साइबर अपराधियों का एक नया हथकंड़ा है जिसके जरिए वे लोगों को फंसाते हैं। असल में साइबर अरेस्ट में व्यक्ति के पास अपराधी का फोन आता है और उन्हें किसी फ्रॉड में फंसा हुआ बताया जाता है। साथ ही उनको यह कहा जाता है कि इसके लिए उन्हें किसी पुलिस स्टेशन में आने की जरूरत नहीं है। उनके अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उनसे बात करेंगे ऐसा कहा जाता है।
बता दें कि जब व्यक्ति वीडियो कॉल उठाता है तो पूरी तैयारियां ऐसे ही की गई होती है जैसे कोई औपचारिक पूछताछ चल रही हो। काफी समय तक व्यक्ति से बात की जाती है और उनकी सारी जरूरी जानकारी उसे निकलवा ली जाती है। ऐसे भी व्यक्ति भी भय के कारण और औपचारिक पूछताछ समझ कर सारी जानकारी उन्हें बड़ी आसानी से दे देते हैं।
कॉल क्यों नहीं कट की जाती ?
आपके दिमाग में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि जब सारी पुछताछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होती है तो व्यक्ति इस कॉल को कट क्यों नहीं कर देता । इसके पीछे भी एक कारण है। जैसा हमने आपके पहले भी बताया कि सारी तैयारियां इस प्रकार की जाती है मानो औपचारिक पूछताछ चल रही हो। साथ ही व्यक्ति को पहले ही धमका दिया जाता है कि अगर उन्होंने कॉल कट की तो यह कानून का उल्लंघन होगा और इसके लिए उन्हें गिरफ्तार ( Arrest) भी किया जा सकता है। ऐसे में व्यक्ति ये ही सोचेगा की जब उन्होंने कोई गलती की ही नहीं तो वो क्यों डरे? इसी वजह से साइबर अपराधी बड़ी आसानी से व्यक्ति को अपने जाल में फंसा लेता है और सारी जानकारी साझा करता है।
source-total tv