ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई के लाभ - CGKIRAN

ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई के लाभ

 


भारत में फसलोत्पादन के मुख्यत: दो मौसम खरीफ और रबी होते हैं। ग्रीष्मकाल में खेत मुख्यत: खाली पड़े रहते हैं। इसलिए अगली फसल की बुवाई की तैयारी एवं भूमि सुधार के लिए ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई का सर्वाधिक महत्व है। ग्रीष्मकालीन जुताई से खरपतवार एवं फसल अवशेष दब कर मिट्टी में मिल जाते हैं। इस गहरी जुताई से मृदा में वायु संचारण सुचारू तरीके से होता है। इसके साथ ही वर्षा जल का अन्तरूसरण अधिक मात्रा में होता है जिससे भू दृ जलस्तर में भी वृद्धि होती है तथा भूक्षरण भी कम होता है।। ऐसा करने से फ सलों में लगने वाले विभिन्न प्रकर के कीट जैसे सफेद लट, कटवा इल्ली, लाल भृंग की इल्ली तथा व्याधियों जैसे उखटा, जडग़लन की रोकथाम की जा सकती है क्योंकि गर्मियों में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करके खेत खाली छोडऩे से भूमि का तापमान बढ़ जाताहैं जिससे भूमि में मौजूद कीटों के अंडे, प्यूपा, लार्वा और लट ख़त्म हो जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप रबी एवं खरीफ में बोई जाने वालीफसलों और सब्जयों में लगने वाले कीटों. रोगों का प्रकोपकाम हो जाता हैं। अत: गर्मी में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से एक सीमा तक कीड़ेएवं बिमारियों से छुटकारा पाया जा सकता हैं।

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने का समय

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई का उपयुक्त समय रबी की फ सल कटते ही आरंभ करदेनी चाहिए, फसल कटने के बाद मिट्टी में थोड़ी नमी रहने से जुताई मेंआसानी रहती हैं तथा मिट्टी के बड़े. बड़े ढेले बनते हैं, ऐसा करने सेभूमि में वायुसंचार बढ़ता हैं। जुताई के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा रहता हैं क्योंकि कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षियों की सक्रियता इस समयअधिक रहती हैं।

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कैसे करें

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से ढलानके विपरीत लगभग 15 सेमी. गहराई तक करनी चाहिए। खेतों में हलढलानके विपरीत रखना अर्थात खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ हो तो जुताई उतर से दक्षिण करनी चाहियें। ऐसाकरने से वर्षा का जल मृदा सोख लेती हैं और पानी जमीन की निचली स्थान तक पहुंच जाता हैं जिससे न केवल मृदा कटाव रुकता एवं जलस्तर बढ़ता हैं बल्कि पोषक तत्व भी बहकर नहीं जा पाते है । बरनी क्षत्रों में किसान ज्यादातर ढलान के साथ- साथ ही जुताई करते हैं जिससे वर्षाजल के साथ मृदा कणों के बहने की क्रिया बढ़ जाती हैं।

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के लाभ

ग्रीष्मकालीन जुताई: खाली खेतों की ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से माह मार्च से 15 मई तक 9 से 12 इंच गहराई तक करें।

* खेत की मिट्टी में ढेले बन जाने से वर्षाजल सोखने की क्षमता बढ़ जाती हैं जिससे खेत में ज्यादा समय तक नमी बनी रहती हैं।

* ग्रीष्मकालीन ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से अप्रैल-मई की सूर्य की तेज किरणे भूमि मे अंदर तक प्रवेश करती हैं, जिससे भूमिगत कीटों के अंडे, प्यूपा, लार्वा, लटें व व्यस्क नष्ट हो जाते हैं।

* ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खरतवार जैसे दुबी, कांस, मोथा, वायासुरी आदि से भी मुक्ति मिलती हैं।

* ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मृदा अपरदन कम होता हैं।

* फसलों में लगने वाले भूमिगत रोग जैसे उखटा, जडग़लन के रोगाणु व सब्जियों की जड़ों में गांठ बनाने वाले सूत्रकर्मी भी नष्ट हो जाते हैं।

* गर्मी की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से गोबर की खाद व खेत में उपलब्ध अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में भली भांति मिल जाते हैं, जिससे अगली फसल को पोषक तत्व आसानी से शीघ्र उपलब्ध हो जाते हैं।

* गहरी जुताई के कारण वर्षा का सम्पूर्ण जल खेतों द्वारा सोख लिया जाता है ऐसी स्थिति में खेतों की उर्वरता में वृद्धि के साथ ही जल धारण क्षमता में भी वृद्धि होती है।

* ग्रीष्मकालीनजुताई करने से खेत की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों का नुकसान कम होता हैं।

* ग्रीष्मकालीन जुताई से बहाव के द्वारा होने वाले भूमि कटाव मेंभारी कमी होती हैं।

जोतन यंत्र: ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के लिए मुख्यत: एम. बी. प्लाऊ, तवा प्लाऊ, सब-स्वाइलर तथा कल्टीवेटर प्रयोग किये जाते हैं।

एम.बी.प्लाऊ- यह एक ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्र है जिसमे शेयर पाइंट, शेयर, मोल्ड बोर्ड, लैंडस्लाइड, फ्रॉग, शेंक, फ्रेम और थ्री पॉइंट हीच सिस्टम होते है। प्लाऊ का कार्य ट्रैक्टर की थ्री पॉइंट लिंकेज एवं हाइड्रोलिक सिस्टम द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसके बार पॉइंट प्लाऊ को मिट्टी की सख्त सतह को तोडऩे में सक्षम बनाते है। इसका प्रयोग प्राथमिक जोत के ऑपरेशन (प्राईमरी टीलेज) हेतु किया जाता है। यह फ सल अवशेषों को काटकर पूरी तरह से मिट्टी मे दबा देता है। इसका प्रयोग हरी खाद की फ सल को मिट्टी में दबाकर सड़ाने के लिए भी किया जाता है।

डिस्क प्लाऊ : इसका प्रयोग बंजर भूमि में तथा अप्रयुक्त भूमि में कृषि हेतु भूमि के प्रारम्भिक कटाव (टीलेज) प्रक्रिया के लिये विशेषत: सख्त एवं शुष्कए बंजरए पथरीली एवं ऊबड़-खाबड़ भूमि पर तथा जो भूमि कूड़े-करकट युक्त है पर किया जाता है। यह सूखी कड़ी घास तथा जड़ों से भरी हुई जमीन की जुताई के लिए उपयुक्त होता है।

सब.सॉयलर: सालों-साल खेत को कम गहरे तक जुताई करने से खेत के नीचे की जमीन कठोर हो जाती है, जिस कारण जड़ें ज्यादा फ़ै ल नहीं पाती और फसल की पैदावार में कमी आती है। अत: सब-सॉयलर द्वारा हमें 2 साल में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए। इसका प्रयोग मिट्टी की सख्त सतह को तोडऩे, मिट्टी को ढीला करने और मिट्टी में पानी पहुंचाने की व्यवस्था को उत्तम बनाने एवं अनप्रयुक्त पानी की निकासी के लिए किया जाता है। मिट्टी में पानी की छोटी नाली व ड्रेनेज चैनल बनाने के लिए मोल बॉल को इसके साथ जोड़ा जा सकता है।

कल्टीवेटर: कल्टीवेटर एक अत्यंत बहुपयोगी उपकरण है क्योंकि इसे ग्रीष्मकालीन जुटी के साथ ही द्वितीयक जुताई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे सीडड्रिल के लिए रूपांतरित किया जा सकता है। शोवेल (कुसिया) कल्टीवेटर केवल सूखी स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि मिट्टी को पलटने की बजाए यह मिट्टी को चीरता है और खरपतवार को काटकर और नोंचकर यह उन्हें सतह पर ला छोड़ता है। स्वीप की चौड़ाई 50 मिमी से 500 मिमी तक हो सकती है। इस कल्टीवेटर का वहां इस्तेमाल किया जाता है जहां फसल के अवशेषों को सतह पर लाकर छोडऩे की जरूरत होती है। ये हल 3-प्वाइंट लिंकेज माउंटेड या ट्रेलिंग वर्जन के रूप में कॉनफि गर किया जा सकता है।


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