सरकारी कपड़ा फैक्ट्री डेनेक्स में काम ठप, धरने में बैठी महिलाएं
बस्तर के नक्सल पीड़ित महिलाओं और ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने दंतेवाड़ा जिले के कुल 4 जगहों पर डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की है और यहां करीब स्थानीय और अन्य जिलों के करीब 750 महिलाएं काम कर रही है, इसमें कई महिलाएं नक्सल पीड़ित भी है जो कपड़ा सिलाई और बुनाई का काम करते हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में मौजूद सरकारी डेनेक्स गारमेंट्स फैक्ट्री में काम कर रहे स्थानीय महिला स्व सहायता समूह ने पिछले कुछ दिनों से फैक्ट्री में काम पूरी तरह बंद कर दिया है. दरअसल यह महिलाएं अपनी मानदेय बढ़ाने के लिए लगातार प्रशासन से गुहार लगा रही हैं, लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं होता देख फेक्ट्री में काम करने वाली करीब 750 महिलाओं ने दंतेवाड़ा के चार जगहों पर संचालित डेनेक्स गारमेंट फैक्ट्री में काम बंद कर दिया और फैक्ट्री के सामने धरना पर बैठ गए है।
दंतेवाड़ा के डेनेक्स नवा गारमेंट फैक्ट्री की महिलाएं वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर सड़क पर उतर गई है.महिलाओं को इस समय 6000 रुपये मानदेय मिल रहा है लेकिन उनका कहना है कि इससे गुजारा नहीं चल सकता. यंहा फैक्ट्री में तीन ग्रेड में महिलाओ को कपड़ा सिलाई का कार्य के मुताबिक वेतन मिलता है,ए, बी,सी तीन ग्रेड में ए ग्रेड की महिलाओ को साढ़े 6 हजार वेतन व पांच सौ रुपये बोनस मिलता है,बी ग्रेड को साढ़े चार हजार और सी ग्रेड साढ़े तीन हजार मिलता है।
महिलाओं का कहना है कि उनकी मजदूरी दर मनरेगा की मजदूरी दर से भी काफी कम है, महिलाओं ने मांग की है कि उन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 के तहत इस फैक्ट्री में काम कर रहे महिला कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाए और जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती और प्रशासन की ओर से लिखित में वेतन बढ़ाने के लिए आदेश नहीं हो जाता तब तक वे इस फैक्ट्री में अपना काम बंद रखने की बात कही है.