गोवा घूमने वाले शिक्षकों पर गिरेजी गाज, बीएमओ घनाराम रावटे पर भी संकट - CGKIRAN

गोवा घूमने वाले शिक्षकों पर गिरेजी गाज, बीएमओ घनाराम रावटे पर भी संकट


सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षको का ऐसा कारनामा जो परीक्षा के समय मेडिकल लीव पर गोवा घुमने गये यह बेहद शर्मनाक है। सीधा सीधा बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना है। पालक बच्चों को स्कूल शिक्षको के भरोसे ही भेजते है कि वहां कुछ सीखे पर ऐसा कारनामा बच्चों के भविष्य के उपर प्रश्रचिन्ह लगा रहा है। बालोद के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले  गुरुर विकासखंड के 2 शिक्षक इन दिनों चर्चा में हैं. क्योंकि इन शिक्षकों ने बच्चों को नहीं बल्कि अपने पूरे डिपार्टमेंट को ही पट्टी पढ़ा दी है. दोनों ही शिक्षकों ने मेडिकल लीव का अप्लीकेशन देकर शिक्षा विभाग से छुट्टी ली. इसके बाद गोवा में मस्ती करते नजर आए. जिसके बाद अब पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. यह मामला बालोद जिले के गुरुर विकासखंड का है। जहां के कनेरी हाईस्कूल में पढ़ाने वाले मनहरण लाल सिन्हा और ठेकवा विद्यालय के शिक्षक टिभु राम गंगबेर हैं। बताया जाता है कि दोनों शिक्षक जमीन की दलाली का काम भी करते हैं। दोनों शिक्षकों ने मेडिकल लीव लिया और फिर जमीन की दलाली करने वाले कुछ लोगों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए गोवा चले गए। सूत्रों के मुताबिक, दोनों किसी जमीन के काम में गवाह नहीं बनते। दोनों शिक्षकों ने शिक्षण व्यवस्था को पार्टटाइम और जमीन के काम को फुल टाइम बनाकर रखा था। सूत्रों के हवाले से यह खबर आई है कि यह एक स्थानीय व्यवसाई के शागिर्द के रूप में काम करते हैं। कुछ दिनों पहले इन्होंने करीब पांच से 10 रजिस्ट्री कराई थी। 

बोर्ड परीक्षाओं के दौरान मेडिकल लीव लेकर गोवा भ्रमण करने वाले शिक्षकों के संदर्भ में खबर प्रकाशन के बाद बड़ा असर हुआ है। शिक्षा विभाग पूरी तरह मामले को लेकर एक्टिव हो गया है। वहीं, जिन विद्यालयों में यह शिक्षक अध्ययन कर आते हैं उन विद्यालयों के शाला प्रबंधन समिति भी अपने स्तर पर बैठक कर रिपोर्ट तलब करने की बात कह रही है।अब इनकी गोवा ट्रिप चर्चा में है।  ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ललित चंद्राकर ने बताया कि दोनों शिक्षकों के खिलाफ पहले आरोप लगा था कि वे जमीन खरीदी-बिक्री का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि शासकीय कर्मचारी बिना विभाग को जानकारी दिए दूसरा काम नहीं कर सकते। 

जानकारी मिली हैं कि दोनों शिक्षक अध्यापन कार्य के समय जमीन खरीदी बिक्री में व्यस्त रहते हैं और विद्यालय से अक्सर गायब रहते हैं। पूर्व में इसकी जांच की जिम्मेदारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को ही मिली थी, पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कुछ दिनों पहले इन्होंने दलाली के जरिये कई जमीनों की रजिस्ट्री कराई थी। इसके बाद इनकी गोवा ट्रिप चर्चा में है। दोनों फ्लाइट से गोवा गए थे।

चूंकि मेडिकल के नाम पर लंबी छुट्टी मिल जाती है, इसलिए शासकीय सेवक अक्सर बीमार होने के नाम पर मेडिकल लीव लेते हैं और अवकाश पर चले जाते हैं। इसके लिए डॉक्टर द्वारा तैयार मेडिकल सर्टिफिकेट की जरुरत होती है, जो अब तक आसानी से मिल जाया करता था, मगर कई मामलो में मेडिकल सर्टिफिकेट देना डॉक्टरों के लिए मुसीबत बन गया और उनके खिलाफ जांच और FIR तक हो गई, इसलिए अब डॉक्टर भी आंख मूंदकर कलम चलाने से डरने लगे हैं।

बहरहाल बालोद के शिक्षा विभाग में हुए इस मामले में DEO मुकेश साहू का कहना है कि अब तो यह जांच में ही पता चल सकेगा कि इन शिक्षकों ने स्कूल में कौन सा आवेदन दिया है। जिसके बाद ही जांच की दिशा तय होगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।

तीन प्राचार्यों के टीम का गठन

विकास खंड शिक्षा अधिकारी ललित चंद्राकर ने बताया कि जिले पर जो आदेश मिले हैं। उसके अनुसार तीन प्राचार्यों की एक समिति का गठन किया गया है। जो कि, जांच रिपोर्ट तलब करेगी। उन्होंने बताया कि मामला चूंकि इतना गंभीर हो चला है इसके लिए यहां पर उनके आने जाने की टिकट सहित जहां पे रुके थे सभी चीजों की बारीकी से जांच किया जाएगा।

बीएमओ घनाराम रावटे भी जांच के दायरे में

गुरुर के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी बीएमओ घनाराम रावटे जिन्होंने इन दो शिक्षकों का मेडिकल लीव जारी किया था। उसने मामले पर अपनी बातों को रखा है उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें जांच कराने के लिए कहा था। परंतु उन्होंने हॉस्पिटल में जांच नहीं कराई वहीं जब हमने स्कूल में मेडिकल रिपोर्ट जाकर देखा तो यह पता चला कि डॉ. बीएमओ घनाराम रावटे ने ही पहले अनफिट प्रमाण पत्र दिया।

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