रायपुर के कई क्षेत्रों में गिरता भूजल स्तर बनता जा रहा चिंता का सबब - CGKIRAN

रायपुर के कई क्षेत्रों में गिरता भूजल स्तर बनता जा रहा चिंता का सबब


जल ही जीवन है, बिन जल सब सून. ये पंक्तियां बताती है कि पानी का हमारे जीवन में कितना ज्यादा महत्व है. लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है,वैसे-वैसे भूजल स्तर में कमी हो रही है. इससे रायपुर शहर भी अछूता नहीं है. जल संरक्षण विशेषज्ञ की माने तो एक समय रायपुर में ढाई सौ 300 फीट नीचे पानी मिल जाता था. लेकिन आज के समय में 800 फीट नीचे पानी चला गया है. कई जगह पर तो इससे नीचे भी पानी है. वही गर्मी के बीच मौसम में कई बोर सूख भी जाते हैं. जल संरक्षण विशेषज्ञ का मानना है कि भूजल स्तर गिरने के पीछे कई कारण है, उसे पर विचार करने की जरूरत है.   राजधानी के गिरते भूजल स्तर को लेकर छत्तीसगढ़ जल प्रबंधन एवं अनुसंधान समिति के अध्यक्ष और जल संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. विपिन दुबे का कहना है कि राजधानी रायपुर में पिछले कुछ वर्षों में लगातार भू-जल स्तर गिरते जा रहा है. दलदल सिवनी, खमतराई, उरला, भनपुरी, न्यू राजेंद्र नगर, फाफाडीह ये रायपुर शहर के आसपास के क्षेत्र है.इन सभी क्षेत्रों में हर साल भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. इसके अलावा कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहां भूजल स्तर वर्तमान में कुछ हद तक ठीक है. उनमें खारून नदी के आसपास का क्षेत्र शामिल है. चांगोरभाटा, सुंदर नगर, लाखे नगर, संतोषी नगर, विनायक विहार और सरोना यह वह क्षेत्र है, जहां भू-जलस्तर थोड़ा ठीक है. इसके अलावा ब्राह्मणपारा, सदर बाजार सहित उसके आसपास का क्षेत्र है , जहां भू-जलस्तर अभी भी ठीक स्थिति में है.लेकिन हाल ही में जो रिंग रोड का निर्माण हुआ है.उससे लगी हुई जितनी भी कॉलोनी है. वहां पहले सामान्य रूप से 400 फीट नीचे पानी था.लेकिन अब अधिकांश जगह 800 फीट नीचे तक पानी चला गया है. 

वहीं कई ऐसे उपाय हैं, जिससे गिरते भू-जल स्तर को रोका जा सकता है. लेकिन उसके लिए शासन प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक होना होगा, तभी हम आने वाली पीढ़ी को पानी की समस्या से निजात दिला सकते हैं. शहर में बहुत कम ऐसी जगह बची है जो मिट्टी की है और वहां से बरसात का पानी जमीन में जाता है. उससे भूजल का स्तर बढ़ता है, लेकिन देखा जा रहा है कि जल प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है. जल संरक्षण का कार्य भी काफी धीमी गति से चल रहा है.इस वजह से भी भूजल का स्तर नीचे गिरता जा रहा है. अधिकतर मकान में ट्यूबवेल खनन किया गया है. जिससे भूजल का दोहन अधिक मात्रा में हुआ है. इसकी वजह से आज रायपुर का अधिकांश क्षेत्र में भू जल स्तर काफी नीचे चला गया है. 

यही स्थिति रही तो आने वाले पीढ़ी को हम भूजल कहां से देंगे. हमें तालाब का निर्माण कर पानी का संरक्षण करना चाहिए. एक समय छत्तीसगढ़ में काफी तालाब हुआ करते थे, लेकिन आज गिने चुने तालाब बचे हैं. वहीं बरसात के दिनों में नदियों के जरिए आने वाले पानी में भी कई जगह पर रुकावट है. उन रुकावटों को दूर कर भी भूजलस्तर को सुधर जा सकता है. ऐसे कई उपाय हैं जो भूजलस्तर बढ़ाने के लिए कारगर साबित हो सकते हैं,लेकिन उसके लिए शासन प्रशासन के साथ आम नागरिकों का भी जागरूक होना बहुत जरूरी है.

जल संरक्षण विशेषज्ञ डॉ  दुबे कि माने तो कुछ साल पहले

 शंकर नगर सिविल लाइन क्षेत्र में लगभग 300 से 400 फीट नीचे पानी मिल जाता था. लेकिन आज 800 फीट नीचे तक पानी नहीं मिल रहा है.

देवपुरी क्षेत्र में 300 फीट पानी मिल जाता था, लेकिन अब लगभग 800 फीट नीचे पानी चला गया है. 

इसी तरह कचना इलाके की बात की जाए तो वहां पहले लगभग 400 फीट नीचे पानी था. लेकिन अब लगभग 700 से 800 फीट नीचे पानी चला गया है.

वहीं सड्डू क्षेत्र में भी लगभग 400 फीट की गहराई में पानी मिल जाता था. लेकिन अब 800 फीट के नीचे भी कई जगह पर पानी नहीं है. 

वही भनपुरी क्षेत्र में भी पहले 300 से 400 फीट नीचे पानी मिलता था, लेकिन आज 800 से 1000 फीट नीचे पानी चला गया है. 

राजेंद्र नगर की बात की जाए तो यहां भी 300 से 400 फीट नीचे पानी था, लेकिन आज की स्थिति में 600 से 800 फीट नीचे पानी चला गया है.

छत्तीसगढ़ में 1200 एमएम बारिश होती है. लेकिन इस बारिश के पानी को हम रोक नहीं पाते हैं.जो हमारे लिए अभिशाप बन गया है . यदि हम बारिश के पानी को रोकते हैं, तो नदियां तालाब भी जीवित रहेंगे. हर क्षेत्र में जलस्तर भी अच्छा रहेगा. भूजल स्तर छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि विश्व के लिए चिंता का विषय है. ऐसे में जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा. शासन ने जल संरक्षण अनिवार्य किया है. जिसके तहत भवन निर्माण के दौरान वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य है. इसकी मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है. लगातार घरों में ट्यूबवेल खनन का काम चल रहा है. उसे रोकने कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. ऐसे में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और ट्यूबवेल खनन को लेकर मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है- डॉ विपिन दुबे, जल संरक्षण विशेषज्ञ

बारिश के पानी को रोकना बहुत जरुरी 

गिरते भूजल स्तर को ठीक करने के लिए बारिश के पानी का संरक्षण करना होगा. छत पर गिरने वाले पानी को वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए रिचार्ज करना होगा. गांव में किसानों के द्वारा भूजल का दोहन होता है. हर किसान को पता होता है कि खेत में पानी कहां रुकता होता है. उन जगहों पर डाबरी का निर्माण कर, गिरते पानी के स्तर को सुधर जा सकता है. ऐसे कामों के लिए शासन को आगे आना होगा. लोगों को जागरूक करना होगा. तभी हम जल संरक्षण कर सकेंगे.


Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads