छत्तीसगढ़
राममय हुआ शिवरीनारायण, यहीं श्रीराम ने माता शबरी के जूठे बेर खाए
Monday, January 22, 2024
Edit
पूरे राष्ट्र और दुनिया के सबसे ऐतिहासिक समारोह श्री रामलला के प्राणप्रतिष्ठा के अवसर का अवलोकन करने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ की पवित्र भूमि में से एक शिवरीनारायण पहुँचे जहां भगवान श्रीराम ने माता शबरी के जूठे बेर खाये थे। अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के गौरवशाली क्षण में माता शबरी की भूमि शिवरीनारायण भी राममय हो गया है. शिवरीनारायण के नागरिकों के लिए अभिभूत करने वाले दो क्षण आये। पहला तो तब जब रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई। दूसरा क्षण तब आया जब माता शबरी का जिक्र प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सुदूर कुटिया में जीवन गुजारने वाली मेरी आदिवासी माँ शबरी का ध्यान आते ही अप्रतिम विश्वास जागृत होता है। माँ शबरी तो कब से कहती थी राम आयेंगे। मान्यता है यहां प्रभु श्री राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। यहां एक पेड़ ऐसा है जिसके पत्तों की आकृति दोने के सामान है, माता शबरी ने इसी दोने में राम लक्ष्मण को बेर रख कर खिलाए थे, इस वट वृक्ष का वर्णन सभी युगों में मिलने के कारण इसे अक्षय वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमने श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से देखा। भगवान श्रीराम की अलौकिक बाल प्रतिमा का दर्शन हुआ। हम सब अभिभूत हुए। यह खुशी का क्षण इसलिए भी है कि हमने यह सब माता शबरी के पवित्र धाम शिवरीनारायण की पावन भूमि में देखा। एक पावन भूमि में हमने एक और पवित्र भूमि में होने वाले अद्भुत प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखा। हमारे लिए यह सौभाग्य इसलिए भी बहुत बड़ा है कि
छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है। माता कौशल्या की जन्मभूमि है। आज केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया राममय हो गई है। दुनिया भर में सब अलग-अलग तरह से खुशियों की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया। माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजे के रूप में पूजा जाता है।
छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल है। माता कौशल्या की जन्मभूमि है। आज केवल भारत ही नहीं, पूरी दुनिया राममय हो गई है। दुनिया भर में सब अलग-अलग तरह से खुशियों की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। 14 वर्षों के कठिन वनवास काल में श्रीराम ने अधिकांश समय छत्तीसगढ़ में ही बिताया। माता कौशल्या की जन्मभूमि के कारण छत्तीसगढ़ में श्रीराम को भांजे के रूप में पूजा जाता है।
Previous article
Next article