इस बार पालक, लालभाजी , हल्दी से बने हर्बल गुलाल के साथ मनाएंगे होली
छत्तीसगढ़ में महिलाये अनोखे हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। कैमिकल युक्त रंगो की वजह से होली के त्यौहार पर त्वचा संबंधी बीमारियों को लेकर लोग परेशान रहने वाले लोगों की चिंता दूर हो चुकी है। अब सभी पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी- बुटी, फूलों और गोबर से बने हर्बल गुलाल खेलकर शानदार होली मना सकेंगे।
एक दौर था जब बाजार में केमिकल युक्त रंग गुलाल के अलावा कुछ उपलब्ध नहीं था। हर बार होली के त्यौहार पर त्वचा संबंधी बीमारियों को लेकर लोग परेशान रहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरूआत के बाद केमिकल युक्त गुलाल अब लोगों के जीवन से दूर हो चले हैं। गोधन न्याय योजना से जुड़ी महिलाएं स्व सहायता समूहों के माध्यम से न सिर्फ वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रही हैं बल्कि हर्बल गुलाल के उत्पादन में भी अग्रसर होकर स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
केमिकल युक्त गुलाल के कारण एक बड़ा वर्ग होली में रंग खेलने से बचने लगे थे,लेकिन गोधन न्याय योजना से जुड़ी महिलाएं स्व सहायता समूहों के माध्यम से न सिर्फ वर्मी कंपोस्ट तैयार कर रही हैं, बल्कि हर्बल गुलाल के उत्पादन में भी अग्रसर होकर स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। जिसका लाभ यह है कि अब बाजार में एक शानदार हर्बल गुलाल उपलब्ध है, अब लोग खुलकर हर्बल गुलाल से रंग खेल सकते हैं।
पालक, लालभाजी, हल्दी से बना रहीं गुलाल
मिली जानकारी के मुताबिक गोधन न्याय योजना से जुड़े महिलाएं स्व सहायता समूह की महिलाएं पालक, लालभाजी, हल्दी, जड़ी- बुटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रहे हैं। इसमें किसी भी तरह का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है। इसके अलावा मंदिरों एवं फूलों के बाजार से निकलने वाले पुराने फूलों की पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर गुलाल तैयार किया जा रहा है। फूलों के साथ ही चुकंदर, हल्दी, आम और अमरूद की हरी पत्तियां को भी प्रोसेस कर इसमें मिलाया जाता है।यह पहला साल नहीं है,इससे पूर्व भी पिछली होली में महिलाओं के द्वारा तैयार हर्बल गुलाल की बाजार में अच्छी डिमांड थी।
त्वचा रहेगी सुरक्षित, महिलाओं की बढ़ेगी आय
महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत डोगरपाली की जयमाता दी समूह की सदस्य अम्बिका साहू का कहना है कि उन्होंने पिछले साल होली में 50 किलो हर्बल गुलाल बनाया था,जो कि पूरा बिक गया था। इस बार उन्होंने मांग को देखते हुए इस बार ज्यादा हर्बल गुलाल का उत्पादन करने का लक्ष्य है। इस गुलाल के प्रयोग से त्वचा को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। विहान समूह की महिलाओं का कहना है कि उनका यह भी प्रयास है कि वो लोगों को हर्बल गुलाल के फायदे को समझाएं ताकि लोग इन्हें ज्यादा से ज्यादा अपनाएं और खुशी के साथ होली का पर्व मनाएं ।